क्या फर्क पड़ता है -
कुछ भी घटा - बढ़ा
या इसमें जोड़ दे .
या फिर -
तेरी मेरी - व्यथाएं
यूँ ही मरने के लिए
किसी बियांबां में -छोड़ दे .
ये तुझ पर पूरी तरह
निर्भर है - यार
सुरसा का मुख - हो चली
समस्याओं का - ठीकरा
किसीके भी सर पर
अनायास फोड़ दे .
कुछ भी घटा - बढ़ा
या इसमें जोड़ दे .
या फिर -
तेरी मेरी - व्यथाएं
यूँ ही मरने के लिए
किसी बियांबां में -छोड़ दे .
ये तुझ पर पूरी तरह
निर्भर है - यार
सुरसा का मुख - हो चली
समस्याओं का - ठीकरा
किसीके भी सर पर
अनायास फोड़ दे .
उत्कृष्ट प्रस्तुति ||
ReplyDeleteबधाई स्वीकारें |