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Saturday, July 14, 2012

क्षणिकाएं

चीजों के भाव आसमान छू रहें हैं
चलो आज नयी सब्जी बना लें . 
थोडा सा सामिष ही सही - इन 
राजनेताओं को - ही तल पका 
भून कर - या कच्चा ही चबालें .

थपेड़े राह - बदल देंगे अभी रहने दे 
धार के साथ कुछ दूर मुझे बहने दे .
जुबाँ पे सच - आया है मुझे कहने दे
नियति के - घाव कुछ और सहने दे .

किसी से अब भला - क्या कहिये
मौज में मन के - बादशाह रहिये .
ज़माने का क्या - यूँही टोकेगा  .
किसकी ताकत जो तुमको रोकेगा .

नफ़ा - नुक्सान इसमें क्या होना 
ये जिन्दगी तो है यार खरा सोना .
जो मिल गयी तो जा सलामत है 
वर्ना मुई मौत का भी क्या रोना .

ना जाने ये क्यों - ख्याल आया 
रात आई ये क्या बबाल आया 
रौशनी की चाहत - बहूत थी उसे 
लो वो सूरज को ही उबाल लाया .

दिल में आया तो पूछा मैंने -
कहो कैसे तेरा आना हुआ ?
गज़ब की शिद्दत थी - उसमे यार 
जिन्दगी तेरा रूप है पहचाना हुआ .

महज ये जिन्दगी - अकेली थी
थे जवाब - ना ये कोई पहेली थी .
हाथ में हाथ - नहीं था तो क्या 
नार वो फिर भी नयी नवेली थी .

कहाँ अब रहने को जाइएगा - 
बचा ऐसा कोई शहर नहीं - 
शरण दे मेरे सपनो को - यहाँ 
नहीं मिलता ऐसा - कोई घर नहीं .

सपने सभी के सच नहीं होते - यार 
भौर होते ही आखों से चले जाते हैं .
दिन के उजाले में भी जो चला आये 
ऐसे सपने किसी किसी को आते हैं .

कहने से कुछ नहीं होगा - पर कुछ 
करने की बात बेमानी सी लगती है . 
मुझसे पहले कर गए लोग - आज 
सच नहीं एक कहानी सी लगती है .

बहूत बेमज़ा सा यार अपना सफ़र निकला 
घर से बाहर - ना दम घर के अंदर निकला .
हाशिये पे काट दी जिन्दगी - हमने तमाम 
जिल्द पे जो गीत - था वही भीतर निकला .

ये लफ्फाजियां -
ये शब्दों के तीर -
किसी का क्या कर लेंगें - 
जब तक असर होगा - 
तब तक तो लोग मर लेंगे .

अपनी मसरूफियत थोड़ी कम कर
हर कंकर पत्थर तो मत हज़म कर 
यूँ तो जागने के होते हैं - कई रास्ते 
थोडा फेस बुक पे भी तो रहम कर .

जीवन की -
तेज़ धार में 
कौन मना - 
कौन रूठा . 
कौन साथ चला - 
कौन पीछे छूटा .
अब कुछ भी याद नहीं - 
क्या फायदा - 
सोचना अब बेकार
छोडो भी - 
जाने दो यार .

बरसों रहा किये - उनके कूंचे में कहीं हम 
अब याद कहाँ - महुल्ला कौन सा था यार .

कहने को कह दिया - दिल जरा नाराज़ भी है 
सच कहूं इस दिलको तेरा इंतज़ार आजभी है .

गणित का प्रश्न - 
नहीं है जिन्दगी
हर बार दो दुनी चार - 
नहीं यार दो दुनी - 
दो भी रह जाते हैं - 
जानते हो हम 
ऐसा क्यों कह जाते हैं .

जहर जिन्दगी है तो 
हयात क्या होगी .
बनेगी जो बात तो -
फिर वो बात क्या होगी .
सवाल इतने टेढ़े हैं -
फिर सोच जरा - 
जवाबों की -
बिसात क्या होगी .

एक अधूरा अहसास नहीं होता है 
जब कोई अपना पास नहीं होता है .
मनमर्जी से जीना तो खुदगर्जी है 
शायद इसी को प्यार कहते हैं यार .

पंखी झलने से - अंधड़ नहीं आया करते
बूँद बरसात की पर्याय कभी नहीं होती है . 
सेतु सागर पे गिलहरी को बनाने दो यार 
कौशिश करने वालोंकी कभी हारनहीं होती है .

एक बात कहूं - ऐ खुदा
चल दोस्त हो जाएँ - इस पूरी 
कायनात में - तू भी तो अकेला है 
और मैं भी हूँ अकेला .

ये महूब्ब्त है जो हमको हरपल जोडती है 
वर्ना दुनियादारी तो हर जोड़को तोडती है .
अपना कहने से कोई अपना नहीं होता यार
हर गैरको महूब्ब्तही अपनी तरफ मोडती है .

यार ये जो इंसान है - 
बहूत सख्त जान है -
फिर हे भगवान - 
इसपर तू इतना क्यों मेहरबान है .

ये जो तुझमे मेरी महूब्ब्त का वास है 
मैं जान जाता हूँ - तू मेरे आसपास है .

बनिस्बत खुशियों के - गम बहूत ज्यादा तो ना थे 
गंगा स्नान भला - क्यों गंदे नालों में नहाया जाए .

बंद आँखों में - अँधेरे के सिवा कुछ नहीं 
तुम जो पलकें खोलो तो सुबह हो जाए . 

ये तूने कुछ कहा तो है .
ये मैंने कुछ सुना तो है 
लब चुप है मगर - हम 
दोनों ने कहा- सुना तो है .

रिश्ते यूँ कभी बेनाम नहीं होते लेकिन -  
दिलके रिश्तों के कोई नाम नहीं होते . 

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