Popular Posts

Monday, April 25, 2011

दादा -अब वापिस लौट आओ

दादा  -अब वापिस लौट आओ
कितने दिन हो गए -घर छोड़ कर गए .
अपने माता पिता माना गरीब हैं -
पर पांच- पांच बेटों के होते
इतने भी कहाँ बदनसीब है .

पता है- तुम्हारे जाने के बाद -
तीनो छुटके - भी जो
शरारती कहाँ थे -कम
भूरे-साहूकार के घर में फोड़ आये  थे  -
दिवाली के सुतली वाले बम .

तब से वे तीनो  भी -आज तक
घर लौट के नहीं आये -मुझे
बहूत डर लग रहा है -लोग
उनके बारे में तरह तरह की
बात करते हैं- कहते हैं 
साहूकार ने उन्हें पेड़ पर लटका
मार दिया है .

माँ की दोनों आँखों में -
मोतियाबिंद उतर आया है .
अब -तो बहूत बूढी हो चुकी है.
हमेशा तुम्हारी याद में रोती है.

देख आती है आज भी उस राह को -
जिस पर चल कर तुम गए थे और-
आज तक नही लौटे - उसकी तो
जिन्दगी ही बीत गयी -
तेरी याद में रोते रोते .

तुम्हे याद  है -
गाँव का भूरा साहूकार -चोर
कब का खाली कर गया -
अपनी पुरानी वाली  पुश्तेनी हवेली.-
बस गया है -कहीं और .

और हाँ - चाचाओं के -
बच्चे अब अपने साथ नहीं रहते.
बंटा लिए हैं अपने -हिस्से के
घर जमीन और खेत.

बाबा उस दिन बहूत रोये थे -
पर वे नहीं माने -और आज कल
अपने -दुश्मनों से हाथ मिलाये हैं-
वैसे हालत उनके भी-
कोई बहूत ज्यादा ठीक नहीं है -
कल ही किसी ने बताये हैं .
   
ये मेरा आखिरी ख़त है - अब भी
लौट आओ - खेत में बड़े बड़े
खरपतवार उग आये हैं - बंजर
जमीन हो गयी है -नहीं बोया  .
तो फिर- कोई फसल नहीं होगी .
घर और -बाहर अपने परिवार की 
बहूत हतक होगी .


(नेताजी सुभाष चंदर बोस को समर्पित)



No comments:

Post a Comment