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Friday, April 22, 2011

हे कान्ग्रेश्वरी -क्षमा करें ,

हे कान्ग्रेश्वरी -क्षमा करें ,
पर दुविधा में हैं -
ये बाप दादाओं की पगड़ी -
आदेश दें - हम
किसके -सर पर धरें .

माना बोलने पहनने की-
पार्टी में कहाँ आजादी है ,
पर हे इटलीसुता  - ये तो शुद्ध खादी है.
अपना राहुल -बाबा कौन सा
ठेठ इलाहाबादी है .

कहो तो - खैरात में
किसी चर्च में दान करा दें .
या किसी स्विस बैंक में रखवा दें .
या इटली पहुंचा दें . 
आदेश तो दीजिये -इसका 
जो कहें वो करवा दें .

गाँधी की -समाधि पर 
इसे भी दफना देते -तो
आज ये दिन नहीं देखने पड़ते.
हिन्दुस्तानी मुकुट -
बूढ़े मनमोहन सिंह
के सर पर नहीं धरने पड़ते .



 


 

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