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Sunday, April 10, 2011

माँ तो -बस साक्षात् माँ होती है .

 माँ तो -बस
साक्षात् माँ होती है .
तुम्हारी पीड़ा -देख
जानते भी हों कितना रोती है.

पर तू क्या जाने -
दिल की बात - क्यों की
ममतामय हृदय -
कहाँ है तेरे पास .

करुणा की नदी-जब
वेगवती हो - बहती है .
अरे मुर्ख वहां ही तो -
माँ रहती है .

पर तुझे कहाँ है -उसके
होने का अहसास- की
वो यही कहीं है - तेरे दिल के
बिलकुल पास .

जब भी तेरी ममता -
बहन -बेटी के लिए
दिल में पलती है -माँ
नाम की नदी वहीँ से तो -
बह निकलती है .
 

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