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Wednesday, April 6, 2011

जी हाँ मैं गीत बेचता हूँ

जी हाँ मैं गीत बेचता हूँ -
प्रेम के प्यार के -दुश्मनी के
रार के -रूठने मनुहार के .
मैं अपनी हार -तेरी जीत के
गीत बेचता हूँ .

तेरी एक हलकी सी-
मुस्कराहट के - नाम
शब्द का  संगीत बेचता हूँ ,
सच मान मैं गीत बेचता हूँ .

बाकी नया है -ये जरा पुराना है
शहीदों का गाया -राष्ट्रिय तराना है .
शहीदों के मजार पर -काफिरों
के शीश बेचता हूँ .-
जी हाँ मैं गीत बेचता हूँ .

ये जरा विचारों से भारी है - जी नहीं
जुगनू नहीं पूरी -जीवित चिंगारी है -
ये दिलों की आग सुलगाने- दिल्ली आया है.
ये जरा हल्का है (मन) मोहनी अंदाज़ में
शायद  किसी ने मुजरे में -गाया है.

कहिये और दिखाऊँ -खरीदेंगे .
ये थोडा खुदगर्जी है -वैसे आपकी इच्छा 
दिल में रखो - या किसी को तोहफे 
में दे दो - आपकी मर्जी है .

ये बस एक बार काम आएगा - गर गुनगुनाया
तो सारा मुंह जल जायेगा .
हाथ से निकल गाया- तो
दुनिया जहाँ को पता चल जाएगा .

(पूज्य श्री भवानीप्रसाद मिश्र जी की कविता
 से प्रेरित )

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