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Sunday, April 10, 2011

मुझ से क्या पूछता है

मुझ से क्या पूछता है -
मेरे पांवो के- छालों से पूंछ .
सफ़र कैसा बीता .

मेरे हम निवालों से-
क्या पूंछता है -पूंछ
मेरे भूखे घरवालों से-
रात कैसे बीती .

मौसम के क्या मायने होते हैं -
जेठ की धूप सर पर
झेलते - देश के उस
अन्दाता से पूंछ .

तुझे सम्मान की जिन्दगी
देने की चिंता में,
देश की आजादी की
भट्टी में खुद को झोंकते -
उन वीर शहीदों से पूंछ -
क्या होते है -
आजादी के मायने .

खुदगर्जी में खोये इन -
नेताओं से पूंछ -कहाँ हैं
कटी उँगलियों के निशान -
इनके पुरखों की कुर्बानियों
की दास्तान - या यूँही कहते
हो (मेरा देश नहीं) मैं -
और मेरा खानदान महान .

अब याद नहीं आयेंगे - किसी को
मेरी पीठ पर छपे - अदृश
हंटरों के निशान.-
क्यों ठीक हैं ना श्रीमान .

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