अब ऐसी भी क्या जल्दी - किश्तों में धीरे धीरे मरते हैं . जीना कोई मजाक नहीं है - यार जाने दो - टुकड़ों में ही सही हर पल आत्महत्या करते ...
Wednesday, April 20, 2011
फूल कि उम्र कुछ छोटी नहीं होती
क्यों डरता हैं उस अकाल -काल से
घटते हुए पल दिन महीने साल से .
फूल कि उम्र कुछ छोटी नहीं होती -
महकता है सुबह से शाम -रात तलक -
और मुरझाने से पहले -किताबों में भी
महकता रहता है -सूख जाने के बाद .
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