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Wednesday, January 5, 2011

रूका मत रह

रूका मत रह -झील के पानी सा
प्रवाह में रह -नदी सा बह
ठहर मत जा -घर से निकल
कुछ परेशानी बाहर की भी सह

यहाँ तुझे कोई ना सुने तो -
बाहर निकल जा -जीने के बहाने
और भी हैं -रहने को ठिकाने
और भी हैं .

घर की दीवारें -आसरा नहीं दें -
बंधन बन जाएँ तब
अपने बांधे नियमों से निकल
चल उठ बाहर चल
कहीं तो कोई तो -कभी तो
तुझे मिल ही जायेगा

डर मत -आसान रास्ते
आगे बढ़ने से रोकेंगे ही
कठिनायियो भरी राह चुन
अपने -केवल अपने लिए
सपने बुन -ये सच हो जायेंगे
नियति के बहाने और भी हैं .

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