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Monday, January 17, 2011

रात जा रही है

रात जा रही है -
पूर्व दिशा में
भौर की पहली किरण
उजालों में नहा रही है .

पंछियों के दल -
पंक्तियाँ बांधे
आकाश में मंडरा रहें हैं
उजाले चहुँ ओर -दसों दिशाओं को
प्रकाश में नहला रहे हैं .

आशाएं - अंगड़ाईयां ले ले
हम को जगा रही हैं ,
नदी के जल में असंख्य
सूर्य रश्मियाँ जगमगा रही हैं .

सुबह हो रही है , रात जा रही है-
मेरे अरमानों को जाने क्यों
नींद आ रही है .

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