Popular Posts

Monday, January 17, 2011

मैं उलटी गंगा बहाना चाहता हूँ

हाँ -मैं उलटी गंगा बहाना चाहता हूँ -
समुन्द्र को हिमालय पर
लाना चाहता हूँ .

क्यों नहीं हो सकता,
मेरा सपना सच -
जब आदमी इन्सान से,
भगवान से मिल सकता है .
तो समंदर हिमालय से
क्यों नहीं मिल सकता है

जतला दूं दुनिया को -
जल खारा भी हो सकता है
जब हमारे ईमान की गंदगी
मिल जाती है नदियों से -समन्दर में .

हिमशिखर नहीं पिघलेंगे- अब
इंसान के मन में जमी बर्फ
पिघलानी होगी - थोड़ी सी स्वाभाव में
मृदुलता लानी होगी -
खारा नही रहेगा सिन्धु जल -
फिर वह हिमालय में रहे या कहीं और
क्या फर्क पड़ता है .

No comments:

Post a Comment