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Monday, January 10, 2011

कोई मिल गया था

कोई मिल गया था -
सरे राह -यूँ ही आते  जाते
मन खिल गया था -बात करते
मिलते मिलाते.

मन कह रहा था -ये कोई अपना सा है
तर्क कहता था - कोई सपना सा है .
ख्वाब  सच से ज्यादा हसीं हों तो
दिल क्या करे .
बे वजह कल की चिंता में क्यों मरे .

एक हाथ में कल था -और दूसरे में
आने वाला कल  - एक मुट्ठी में बंद
रेत सा फिसल रहा था - दूसरे हाथ
में प्रभात का सूरज निकल रहा था .

बीते  कल और और आने वाले
कल  के बीच- मेरा आज बाहर
आने को को मचल रहा था .

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