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Wednesday, January 5, 2011

मैं हूँ न !

 तुम्हारी हर कहानी
हर व्यथा -किस्से
कथा - सुनने को
तेरी पथराई हुई आँखों में
कल के सपने बुनने को -
मैं हूँ न !

गुलशन से पुष्प कमल चुनने को
विजय के हार सजाने को -
तेरे साथ हर जंग में कंधे से कंधे मिला
लड़ जाने को -
मैं हूँ ना !!!

धूप मैं साया बन जाने को -
बाग़ से कच्ची अमिया चुराने को
तुझे हर फ़िक्र से बचाने को -
मैं हूँ ना !!

वैसे ही जैसे पृथ्वीराज के संग -
चन्द्रबरदाई - अर्जुन के संग
कृषण कन्हाई- अरे हम तुम अलग अलग
कहाँ है भाई .

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