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Saturday, January 8, 2011

केवल तुम !

केवल तुम-
जीवन के हर मोड़
इम्तिहान - चाहे
जमीन या आसमान
केवल तुम !

कौन जाने -तेरा विधान
तू सर्वशक्तिमान -
किसे पता - तेरा स्वरुप
तू अमूर्त - कभी मूर्तिवान.

नहीं चिंता , कोई व्यवधान
सकल कारज सधे ,
दुर्जन घटे .
बढे सनमान ! तू हर कहीं
विराजमान !.

भूले दुःख - लौटे प्राण
कष्टों का - हुआ अवसान
घटे शूल - बढे फूल
अरियों की उडी धुल .

इनमे कारण अनेक
पर केवल एक नाम -
केवल तुम !!.

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