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Sunday, May 29, 2011

धर्म कुछ ऐसा चलाया जाए

सारी दुनिया में - यार धर्म कुछ ऐसा चलाया जाए .
बाकी सब छोड -पहले इंसानको इंसान बनाया जाए . 

रफ्ता रफ्ता टुकड़ों में बंट गया आइना-ए-इन्सां
कांच की किरंचों को - होशियारी से उठाया जाए .

टूटते जुड़ते - बिखर जाते हैं जाने क्यों लोग .
भला किस शय से अब इनको मिलाया जाए .

बड़ा बेगाना सा लगता है - इंडिया-ओ -हिन्दुस्तां यारो
आने वाले हरेक मेहमाँ को- अब भारत से मिलाया जाए   

3 comments:

  1. वाह बेहद खूबसूरत शायरी।

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  2. टूटते जुड़ते - बिखर जाते हैं जाने क्यों लोग .
    भला किस शय से अब इनको मिलाया जाए .

    बहुत ख़ूबसूरत गज़ल...

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