Popular Posts

Monday, May 16, 2011

कहीं देर न हो जाये .

कहीं देर न हो जाये .
कूंच के नगाड़े बजने लगे
मेरे वापिसी के -विमान
सजने लगें .

बस एक बार -मुझे
अपने पास बुला ले
अपने आँचल में -
सबकी नजर बचा के छुपा ले .

शायद -यमके यान
मुझे अपने पास बुला लें
इससे पहले -
एक बार -प्रेम की
महफिल फिर से सजा लें
तू ना आ सके -तो मुझको
ही -अपने पास बुला ले .

मैं अनश्वर नहीं हूँ -क्या पानी
का बुलबुला -रेत का पहाड़
अपनी शाश्वतता पर अभिमान
कर सकता है -इतना लघु है जीवन
कभी भी मर सकता है .

आपकी देरी किसी का
जीवन ले सकती है
फिर ढूँढ़ते रह जाओगे
हम भी तो तेरे प्रिय हैं
हमें फिर कहाँ देखोगे -
कहाँ पाओगे .

No comments:

Post a Comment