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उबासी सत्यानाश आ गयी .
घोड़े को घास खा गयी जनता को आस खा गयी . जुल्फके नाग हटाये ही थे चंदन की बास आ गयी . जुआरी को ताश खा गयी - गुलाम को रानी रास आ गयी...
Thursday, May 26, 2011
रुका मत रह - तट पर
रुका मत रह - तट पर
तूफ़ानों के मिजाज -
चाहे कितना सवाली हैं
तेरे हाथ पतवार तो है
धाराओं के हाथ तो
आज भी खाली हैं .
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