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Saturday, May 14, 2011

चल अकेला ही चल

चल अकेला ही चल -
ना कोई साथ दे तो
आगे बढ़ के ना हाथ दे तो -

चाँद -सूरज , दिन और रात
कहाँ चलते हैं साथ साथ .
सितारों का क्या जो एक साथ
चलते हैं - क्या दौड़ में कभी वे
दीये से भी आगे निकलते हैं .

इंसान तनहा भला - कम से कम
किसी का इंतज़ार तो
नहीं करता - साथ के चक्कर में
रुका तो नहीं रहता .
अपनी व्यथा दिल में रखता है-
किसी से तो नहीं कहता .

मंजिल मिले - या खो जाए
किसी को अपना ले - या
किसी का हो जाए.
फिर सब कुछ उसीका - जीत भी
हार भी - नफरत भी प्यार भी .

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