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Sunday, May 15, 2011

उठा अपने हाथों में जय की पताका

उठा अपने हाथों में
जय की पताका-
विजय करले दसों दिशा .
देखेंगे -सोचेंगे से बाहर आ
हम करेंगे - और
दुनिया को करके दिखा .

पतन अधोपतन - सिर्फ
शब्द रह जाएँ -किताबों से
ना कभी बाहर आयें -ऐसा
कुछ जो हम कर जाए - दुनिया
देखे फिर हिन्दुस्तानियों का
अजब गजब जलवा .

जीतेगा तू - हर बाजी जरुर ,
हिम्मत कर हथियार उठा .
बहूत रखा पर्दों में-
छिपा कर -खुद को
एक बार तो ज़माने के
खुल कर सामने आ .

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