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Thursday, May 26, 2011

इन मामूली पटाखों से

इन मामूली पटाखों से - तो
पेड़ पर बैठी नन्ही सी -
चिड़िया भी - नहीं उडती .

ये आवाज हिन्दुस्तानी -
अवाम को - क्या दहलाएगी .
इन्हें सुनकर तो नर्सरी के 
बच्चे को भी हंसी आएगी.

ऐसे करोड़ों - बारूदी पटाखे तो 
हम एक ही दिन में - निपटा लेते है
अरे यार दिवाली- और वर्ल्डकप
जीतने के जश्न में ही चला लेते हैं .

मुंह में जुबान पान चबाने -
और खाना खाने के लिए-ही
तो नहीं है ना -कुछ ज्यादा 
परेशानी है -तो मुंह से कह ना .

मच्छरदानी में घूसकर- क्यों 
कान के पास भिनभिन्नाता है .
रात के अँधेरे में नकाब  -
बदल बदल कर क्यों आता है
दिन के उजाले में मिलने-
बात करने में क्यों शर्म खाता है .

ये चंद परजीवी मच्छर इस -
हाथी जैसे शरीर का -कितना
खून पी जायेंगे -करोड़ों पीढियां
फ़ना हो जाएँगी -ये क्या डेंगूं
मलेरिया फैलायेंगे - गर
डी डी टी छिड़क दी तो -
बेमौत वैसे ही मारे जायेंगे .

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