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(no title)
आँधियों के दौर हर मंज़र उदास है - बचने की भला अब किसको आस है अंजाम से डरे हुए कुछ लोग तो मिले अंजाम बदल दें मुझे उसकी तलाश है .
Saturday, May 14, 2011
पहले नाना - फिर माताजी
पहले नाना - फिर माताजी
फिर नातीजी अब बेटाजी .
कब तक हम आपा ना खोएं-
फूल बिछाये बहूत राह में -
आओ अब मिल काँटें बोयें.
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