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Sunday, July 7, 2013

एक नदी प्रवाहमयी -

एक नदी 
प्रवाहमयी -
जो दिल में 
सतत बहती है .

कभी पत्थरों की ओट 
नियति की चोट -
दबी छिपी - वेदना 
संवेदनाओं के बीच 
जाने कहाँ रहती है . 

संवेग - आवेग
प्रवाह ही जीवन है
मैं जीवित हूँ -
हर पल ये
कहती है .

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