एक नदी
प्रवाहमयी -
जो दिल में
सतत बहती है .
कभी पत्थरों की ओट
नियति की चोट -
दबी छिपी - वेदना
संवेदनाओं के बीच
जाने कहाँ रहती है .
संवेग - आवेग
प्रवाह ही जीवन है
मैं जीवित हूँ -
हर पल ये
कहती है .
प्रवाहमयी -
जो दिल में
सतत बहती है .
कभी पत्थरों की ओट
नियति की चोट -
दबी छिपी - वेदना
संवेदनाओं के बीच
जाने कहाँ रहती है .
संवेग - आवेग
प्रवाह ही जीवन है
मैं जीवित हूँ -
हर पल ये
कहती है .
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