मुमताज़ है ना ताज़ है
ना मित्र ना हमराज़ है .
फुकरे सभी बैठें यहाँ
कुछ काम है ना काज़ है .
टूटी हैं दोनों टाँग अब
बैसाखियों पर देश है -
देसी यहाँ दारु है बस
और फिरंगी परिवेश है .
हम आम हैं ना ख़ास है
कहने को अपना राज़ है .
हर चीज दुर्लभ है यहाँ
महगाईय ही बस पास हैं .
कहते हैं सब सरकार है
हमसे ना सरोकार है -
हम बीच हैं मझधार में
हम आर हैं - वो पार है .
कहने को जिन्दा हैं यहाँ
आधार निराधार है .
बातों से दिल को जीतते
भाषण जो धुआंधार है .
इक आस है - 'मत' पास है
जिससे हमें कुछ आस है
फिर टांग देंगे 'इनको' हम
खूँटी हमारे पास है .
ना मित्र ना हमराज़ है .
फुकरे सभी बैठें यहाँ
कुछ काम है ना काज़ है .
टूटी हैं दोनों टाँग अब
बैसाखियों पर देश है -
देसी यहाँ दारु है बस
और फिरंगी परिवेश है .
हम आम हैं ना ख़ास है
कहने को अपना राज़ है .
हर चीज दुर्लभ है यहाँ
महगाईय ही बस पास हैं .
कहते हैं सब सरकार है
हमसे ना सरोकार है -
हम बीच हैं मझधार में
हम आर हैं - वो पार है .
कहने को जिन्दा हैं यहाँ
आधार निराधार है .
बातों से दिल को जीतते
भाषण जो धुआंधार है .
इक आस है - 'मत' पास है
जिससे हमें कुछ आस है
फिर टांग देंगे 'इनको' हम
खूँटी हमारे पास है .
No comments:
Post a Comment