वो तेरा रूठ जाना -
मान जाना .
छिटक कर दूर होना
पास आना .
ये मन के खेल थे
कोई जाना भी -
और कोई नहीं जाना .
चुप नहीं था - इज़हार किया था मैंने
सच में तुमसे ही प्यार किया था मैंने -
या खुदा कुछ तो एतबार कर लिया होता
काश खामोश निगाहों को पढ़ लिया होता .
ज़माना जान जाए - इससे पहले
हाले दिल जान लेते तो अच्छा था .
गम अच्छे हैं - खुशियों के पायदान बहूत हैं
शहर में तुझको छोड़ - मेरे कद्रदान बहूत हैं .
मेरे दिल की तुझे - कहीं से
थोड़ी सी खबर आती तो होगी .
मेरे घर से तेरे घर को यार - कोई
सीधी सड़क जाती तो होगी .
ये बेबसी का बाज़ार -
परेशानों का हुजूम .
माल बिकता है सस्ता
बोलो क्या खरीदोगे .
कोई वादा ना कोई तकरार
क्या इसी को कहते हैं प्यार .
मान जाना भी महूब्ब्त होगा
रूठ जाना भी महूब्ब्त है यार .
अपने अनकहे जज्बात सब वापिस ले लो
मैंने पहले ही कहा था शब्दों से मत खेलो .
जाने क्यों याद आता है वो और उनका रूठ जाना
उसने क्यों कहा था हमें इस कदर ना आजमाना .
बड़े चुपचुप से वो - हम रफा दफा से हैं
लगता है हमसे वो कुछ कुछ खफा से हैं .
कोई जीते - कोई हारे
कोई पिट ले - कोई मारे .
कभी मायूस - दोनों ही
ना वो जीते ना हम हारे .
फटी हैं एडियाँ यारो
थके हैं पाँव चलचल कर .
कोई अब तो बतादे ये यार -
मंजिल दूर कितनी है .
खरीदोगे बताओ -
बेच दूंगा यार सस्ते में
मसीहे - देश के यारो
सलीबों पर चढाने हैं .
ना हिन्द ना हिंदी -
ना हिन्दू ही यहाँ यारो
ना जाने मुल्क ये अपना
अपनासा नहीं लगता .
कभी तो चुप रहो यारो -
जरा खामोश हो जाओ
हमें ये रोज़ की चिकचिक
जरा अच्छी नहीं लगती .
सिमटना ही सही होगा .
बिखरकर कुछ नहीं मिलता .
आँधियों में उड़े पत्ते -
नहीं फिर लौट कर आते .
बेहतर तो यही है -
मेरे होकर तो देखिये .
अनमोल बहूत हूँ -
कभी खोकर तो देखिये .
कोई साकिया - ना ही जाम है .
ना सुबह सी है ना ये शाम है .
ये अपने नसीब की बात है
जहाँ दिन ढला वहीँ रात है .
इश्क तुझसे -
या खुदा से यार -
शर्त है -
जो भी पहले मिल जाए .
कोई तो रास्ता होगा - कोई तो राह निकलेगी
अँधेरी रात कहती है - सुबह बस होने वाली है .
ये मेरे शेर - शेर से नहीं लगते
यार कुत्ते की तरह भौंकते हैं .
जो दोस्त है तो - किसी
बात का ना गिला कर
फिर उसी गर्मजोशी -
उसी चाह से मिला कर .
दुःख में थे - सहे
पर कहे नहीं गए .
सुख में भी थे -
कहीं नहीं गए .
थोडा ज्यादा -
या कभी कम .
ये अश्क -
मुझे छोड़ कर -
जाते कहीं नहीं .
मौन एक भाव है -
शब्दों की कमी -
या अभाव नहीं है .
जो चले गए -
उन्हें भूल जा .
जो जारहें हैं -
उन्हें जाना ही था .
मत रोक - इन्हें
ऐ दोस्त - ये आसूं हैं
इन्हें तो - हरहाल
आँख में आना ही था .
मेरा आज भी - तब तक हसीं कल नहीं देता
अगर ना सींचों तो दरख्त भी फल नहीं देता .फूलों की बात जाने दो
अभी तो तुम - फैंके हुए
पत्थरों का हिसाब दो .
हूँ नहीं दूर - फिर
किसी रोज़ चला आऊंगा
गुजरी बहार सही -
हर बरस लौट आऊंगा .
मंजिले दूर नहीं होती -
वहीँ रहती हैं - बस
रास्ते ही लम्बे हो जाते हैं .
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