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Sunday, July 14, 2013

क्षणिकाएं

बात उनकी अब क्या कीजे - यारो 
जिनकी - करनी में कुछ कसर भी नहीं 
ऐसा नहीं की हमपे कुछ असर भी नहीं 
खबर न सही पर इतने बेखबर भी नहीं .

बनो दबंग ना की सुस्त अनमने से .
बजो बाजे से - ना की झुनझुने से .

थोड़ी थोड़ी प्रीत रख 
थोड़ी थोड़ी रार रार .
ज्यादा इसको ना पचे 
ये अद्भूत संसार .

बड़ा बना तो क्या बना 
विस्तृत मरू की रेत 
झाड कटीले केक्टस 
बिरवा उगे ना एक .

रखकर प्यारे भूल जा 
नफरत जैसी चीज .
यारो मन में धार लो 
केवल यही तमीज .

लिखता है वो सारा हिसाब 
कुछ भी भूलता नहीं 
करके कर्म चाहे भले 
हम भूल जाएँ यार .

ये नागफनी - ये केक्टस 
और नुकीले कांटे .
क्यों रंज करे 
जब कुदरत ने फूल नहीं 
कांटे ही बांटे .

प्यार भी अजब शय है 
कभी सोने नहीं देती - 
कभी हंसने नहीं देती - 
कभी रोने नहीं देती .

मैं बुलाऊं तो चले आओगे तुम
मजा जब है की - 
बिन बुलाये भी कभी आ जाओ .

जब सवेरा बुझ कर सांझ हो गया - 
लगा सच हकीकत में बाँझ हो गया है .

लोग हँसते हुए भी रोते हैं 
एक हम हैं जो रोते हुए भी 
हंसने का गुमा देते हैं .

फिर किसी रोज़ पुकारूं तो चले आना 
आज भी किसी का इंतज़ार है मुझको .

रात रंगीन ही नहीं होती -
आँख बस रंग का पता देती है .
कहीं चुन्धियाई हुई सी नजरे हैं 
कहीं ढीबरी भी धुंवा देती है .

इधर उधर सब कहीं देखा मुझको  
अपने दिल में झाँक कर नहीं देखा .

इस बहती अल्हड नदी को 
अपनी बाहों में जरुर बांधता 
इस मगरूर अलंघ्य सागर का 
मान तोड़ता और जरुर लांघता .

घर जंगल में था 
या घर में जंगल था .
ईंट पत्थर के बने 
घर नहीं - घेर थे हम 
गजल के शेर नहीं 
हिंसक 'शेर' थे हम 

मेरे रोने का सबब कुछ भी नहीं 
तेरे दिल पर हुआ असर भी नहीं 
गर यही प्रेम का हशर यारो - फिर 
मेरी पीर पर्वत क्या पत्थर भी नहीं .

ये उमस ओस बन जाएँ दुआ कीजे 
चलो बरसात में बरसात की बाते करें .

हम तो आज भी वहीँ पर हैं यार 
तुमने जहाँ पे साथ छोड़ा था .
लो फिर से जुड़ गया है दिल 
तुमने उसको जहाँ से तोडा था .

अभी सुलगी नहीं - धुआं देगी 
जो गीली लकड़ियाँ हटा देगी .
गरीबों का जो जल गया चूल्हा .
तुझे - हर आँख फिर दुआ देगी . 

ना कोई गैर - ना सगा कोई 
हरेक थाप पर क्यों ताली दो .
कोई अच्छा लगे तारीफ़ करो -
बुरा लगे तो जम के गाली दो .

ये नेता आदमी नहीं - कसाई है 
हो कोई पार्टी - सभी भाई भाई है .
नर्म गद्दी - ओ' तख्तो ताज मिले .
मेरी कौशिश है हमें स्वराज मिले .

फूल ही फूल बिखरे पड़ें हैं राहोंमें 
नहीं पत्थर - किसी निगाहों में .
उमस सी लग रही ना जाने क्यों 
किसी की आह हैं फिजाओं में . 

तर्जुमे करते रहें - अर्थ ना समझा कोई 
बेजुबानों को जुबा ना मिल सकी यारो .

सुर असुरों में है होड़ लगी 
सत्ता की कैसी दौड़ लगी .
फिर से सागर मंथन होगा 
विष अमृत का सृजन होगा .

ना देश हो नाती नानो का 
नेताजी से भगवानो का .
तुक्के और तीर निशानों का 
संसद से चंडूखानो का 
आतंकी के फरमानों का 
घुटघुट करके मरजानो का .

ये देश हो - मुक्तिमानो का 
मजदूरों और किसानो का .
सीमा पर बलि बलि जानो का
आजादी के परवानो का .

मन में उमंग हो - मनभावन संग हो 
जीवन की बात हो - आशाएं साथ हों 
चांदनी रात हो - उजला प्रभात हो .
यहीं पर स्वर्ग का मैं क्या करूँ .

फर्क क्या इनकार से इकरार से 
प्यार चलता ही नहीं व्यापार से .
गीत गाते हैं उसी के लोग सब 
जीत लेते जो जहां को प्यार से .

ना 'दाद' है ना खाज़ 
ना चील हैं ना बाज़ हैं . 
यूँ अपना अपना गीत है 
और अपना अपना साज है .
ये 'शेर' गीदड़ हैं तो क्या - 
महफ़िल में अपना राज़ है . 

अभी सुलगी नहीं - धुआं देगी 
जो गीली लकड़ियाँ हटा देगी .
गरीबों का जो जल गया चूल्हा .
तुझे - हर आँख फिर दुआ देगी .

ना कोई गैर - ना सगा कोई 
हरेक थाप पर क्यों ताली दो .
कोई अच्छा लगे तारीफ़ करो -
बुरा लगे तो जम के गाली दो .

ये नेता आदमी नहीं - कसाई है 
हो कोई पार्टी - सभी भाई भाई है .
नर्म गद्दी - ओ' तख्तो ताज मिले .
मेरी कौशिश - हमें स्वराज मिले .

फूल ही फूल बिखरे पड़ें हैं राहोंमें 
नहीं पत्थर - कहीं निगाहों में .
उमस सी लग रही ना जाने क्यों 
किसी की आह हैं फिजाओं में . 














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