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Sunday, July 7, 2013

सबसे सुंदर - पर देश मेरा

सुंदर पृथ्वी - आकाश सजा -
कितनी सुंदर - मासूम धरा .
सबसे सुंदर - पर देश मेरा 
जिसमे अतुल्य प्रकाश भरा .

प्रकृति के स्पंदन यूँ बोले 
सतरंगी रंग किसने घोले 
ये मदमाती - ये बलखाती 
नदियाँ में निर्मल जल डोले 

आये थे जाने कौन काज
चाहे धरती का सकल राज
तू चल फिर यार पथिक भोले .
तू इसका बन इसका होले .

उतरे धरती पर राम यहीं
श्रीकृष्ण प्रभु का धाम यहीं
भक्ति का अद्भूत आँगन है
ईश्वर के भेद यहाँ खोले .

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