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Friday, August 9, 2013

किला जो लाल दीखता है

किला जो लाल दीखता है
वो पीला हो नहीं सकता .
मेरे आजाद भारत का
वो सपना खो नहीं सकता .

गजब की बात है यारो
तमाशा ही तमाशा है
मदारिन देखती है भीड़
चेला भी नया सा है .

मयस्सर थी नहीं - बस्ती
जिन्हें दुनिया जहानों में
वो रहने आ गए यारो
हमारे ही मकानों में .

ये इटली रोम होंगे पास
लेकिन दूर दिल्ली है -
चलेगा तब तो पहुंचेगा
अबे तू शेखचिल्ली है .

किसी दिन धारपर रखके
तुझे भी आजमायेंगे .
बचा ना जब कोई मोदी
तुझे उस दिन बुलायेंगे .


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