जो इतने सुंदर नहीं मगर
जाने क्यों सुंदर लगते हैं .
ये सुंदर से दिखने वाले -
जाने क्यों मुझको ठगते हैं .
सौन्दर्य बौध इन आँखों में
जाने कैसे आ जाता है .
पुरे गुलशन में फूल कोई
मुझसा ना पाया जाता है .
अनजान कलि यूँ इठलाकर
जब मुझसे नैन मिलाती हैं
मैं - मैं से हम हो जाता हूँ
मैं तू की खाई पट जाती है .
ये कैसी दिलकी दुनिया है
दी नहीं दुहाई जाती है .
जो पीर पराई देती है -
और खीर पराई खाती है .
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