इक प्रणय की वेदना है
इक तरफ संसार भी है
जीत जाना भाग्य से है
हार जाना 'हार' भी है .
मुक्त हो जाता कभी का
छोड़ देता वासना मैं
'काम' भी तो है जरुरी
'काम' से संसार भी है .
ना सखा - कोई बटोही
दिन जगा और रात सोयी
जिन्दगी - पायी की खोयी
जान पाया कोई कोई .
बाँधकर - खुलता नहीं जो
भीड़ में रुलता नहीं जो .
त्रण बिखर जायेंगे शायद
मुक्ति खुद उपहार भी है .

जीत जाना भाग्य से है
हार जाना 'हार' भी है .
मुक्त हो जाता कभी का
छोड़ देता वासना मैं
'काम' भी तो है जरुरी
'काम' से संसार भी है .
ना सखा - कोई बटोही
दिन जगा और रात सोयी
जिन्दगी - पायी की खोयी
जान पाया कोई कोई .
बाँधकर - खुलता नहीं जो
भीड़ में रुलता नहीं जो .
त्रण बिखर जायेंगे शायद
मुक्ति खुद उपहार भी है .
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