सभी तो ग़मज़दा से हैं
सभी तो खौफ खाए हैं .
अभी चमड़ी उधडनी है
नए हंटर मंगाएं हैं .
खड़े हैं हाथ को जोड़े -
लगी है थाप ढोलक पर
कोई बच्चा हुआ है क्या
जो ये हिजड़े बुलाएं हैं .
तेरा चेहरा नहीं मुझसा
कोई ना रीत मिलती है .
ये इटली रोम से यारो
ना अपनी प्रीत मिलती है .
बीन पर नाचना छोड़ो
तू बन्दर है ना भालू है .
नचा अपने इशारों पर
जो धौला है जो कालू है .
No comments:
Post a Comment