जो चलागया सो चला गया
बाकी के संग में जीना है .
ये जीवन जल है निर्झर का
ये जीवन कितना झीना है .
आये कब - ठहरे चले गए
फिर आयेंगे कहकर आये .
मृदु मिट्टीघट का क्या जीना
पलभर में मिट्टी हो जाए .
माटी कहकर बहलाते हो
फिर कुदरत ने क्यों छीना है .
मिट्टी होता तो क्या गम था
पर जीवन एक - नगीना है .
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