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Wednesday, August 21, 2013

क्षणिकाएँ

कई जो मर्तबा टूटा - उस 
दिल का मोल क्या बाकी 
किसी को दे भी दें लेकिन 
किसी का हो नहीं सकता  .

किराए बढ़ गए दिलके 
ना दे पाओ तो जाने दो . 
ना रुक पाओ चले जाओ 
नया किरायेदार आने दो .

जो गिर कर चूर हो जाए 
वो पत्थर हो नहीं सकता .
जो बंट जाए हजारों में 
मेरा दिल हो नहीं सकता .

फरेबों से भरी दुनिया 
सभी दिखते पराये हैं .
तेरा अपना कहलाने को 
यार अब दिल नहीं करता .

चले हैं - ढूँढने खुद को 
जहाँ में खो गए हम हैं . 
जो खुद को पा लिया होता 
खुदा को पा लिया होता .

ना कोई है - ना कोई था 
ना कोई भी कभी होगा .
तेरे सिवा भी - कोई है 
यार क्या बात करते हो .

हंसी की बात करते हो 
और हंसने भी नहीं देते 
अबे तुम कांग्रेसी हो क्या .

कठिन थे रास्ते दिलके 
न चलते हम तो क्या करते . 
शहर में था कहाँ अपना -
जो उसके घर चले जाते .

उलझने ऐसी - 
की दिल हैरान 
परेशांन भी हैं .
रूठना आता नहीं
यूँ मन भी जाते - 
पर किसी का - 
ध्यान भी है .


ना रुक पाओ 
चले जाओ . 
हृदय के द्वार खूल्लें हैं -
ना माने दिल  
चले आओ .

जो किसी ने - दी हमे आवाज़ 
रुक जाना पड़ेगा . 
आ गया जो लौटकर वो पास 
तो बसजाना पड़ेगा .

नटों और बोल्ट से - 
अपना वजूद कस रहा हूँ मैं .
उजड़ना चाहते हैं लोग - 
बस रहा हूँ मैं .

जिन्हें बसने की चाहत थी 
उन्ही को घर नहीं मिला 
था जिनके पाँव में चक्कर - 
उन्हें सफ़र नहीं मिला .

दिल को समझाने का 
इक हुनर तो है .
कटे जो हाथ तो - क्या 
अभी सर तो है .

दुखों की आग लगी -
बुझाई न गयी .
सेंकडों दर्द सीने में - 
दिलकी तन्हाई ना गयी। 

जिसे भी देखा - रंजों 
ग़मों से तर देखा . 
किसी की आँख में आँसू 
किसी के समन्दर देखा .

तुम्हारे सामने हम हैं 
उधर तुम देखते क्या हो
इधर है प्रेम का सागर 
उधर कुछ भी नहीं यारा .

जरा रूक जाओ पल भर को 
मेरे दिल को सँभलने दो .
अभी तो रात बाकी है - 
जरा दिन तो निकलने दो .

हुई जो तेज़ बारिश - 
पाँव फिसले ना जम पाए .
बड़ी सुनी रही महफ़िल 
ना तुम आये ना हम आये . 

मुफ्त में बेचने चला था 
मेरी तन्हाइयों का -
खरीदार न मिला कोई .

गुम हैं किसी के ख़्वाबों में दिल 
या ईलाही अब ना जगाये कोई .

खुबसूरत हो मेरे ख़्वाबों की तरह 
हकीकत यूँ  कब हसींन होती है 

खबर जो होती तो - 
हम भी देख लेते यार .
बहारों के बाद - पतझर 
कैसे चुपके से चले आते हैं .

हम तो वो हैं जिधर -
कब से उधर देखते हैं . 
किधर है ध्यान उनका - 
जाने किधर देखते हैं .

भूल जाना - चला गया कोई 
चला गया तो याद आऊंगा -
याद करना - चला गया कोई .

महुब्बत गर जिन्दगी है तो मौत क्या है .
गर ये बेखौफ है तो - वो भी बेपरवाह है .
समझ में कुछ नहीं आता - माजरा क्या है . 
मरने जीने का भी ये अजीब सिलसिला है .

इश्क पैगामे महुब्बत है खुदा 
गर यकीं है तो यही सच होगा .

मैल कपड़ों की भी बुरी होती है 
दिलको कब किसने धोकर देखा .



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