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Tuesday, August 6, 2013

क्षणिकाएँ

वो कहते हैं - 
मैं करता हूँ . 
वो करते हैं - 
मैं भरता हूँ .
वो निडर(लीडर) हैं - 
मैं डरता हूँ .

दिल चुप नहीं रहता -
ये हरदम बोलता क्यों है .
जो सुन लिया किसी ने 
तो क्या होगा तेरा यार .

दिल में कोई नश्तर सी 
फांस गड़ रही जनाब 
बातों के तीर - नजाकत 
था हुस्न लाजवाब .

ना चाँद ना सूरज - 
सितारा भी तो मैं नहीं -
हूँ एक मुसाफिर रोज़ 
मैं घर से निकलता हूँ .

सांचा नहीं हूँ - यार 
फिर भी रोज़ ढलता हूँ .
वो दर्द हूँ जो - मोम सा 
हर दिन पिघलता हूँ .

भीगी भीगी सी सुबह हुई 
भीगा मन का कौना कौना .
दिल कहता है मनही मनमें 
हो जाओ जिसका है होना .

अभी तो पाँव टूटे हैं -
सफ़र बाकी अभी यारो .
अदम में छोड़कर जाना 
हमें अच्छा नहीं लगता .

रहे - ना छोड़ कर जाए 
तेरे दिल को तेरे घर को 
कोई हो ख्वाब ऐसा भी 
पर ऐसा हो नहीं सकता .

किसी की बात में दम था 
किसी के साथ में दम था .
निशाने पर मेरा था दिल 
ना ये कम था ना वो कम था .

यही सोचा है अब दिल ने - 
फजीहत भी क्यों करवाओ .
जो मन जाते तो अच्छा था . 
ना मानो - भाड़ में जाओ .

मनाना फर्ज था अपना 
जतन सारे किये हमने -
ना माने क्यों - ये वो जाने 
या फिर उनका खुदा जाने .

ये दिल अपना कभी ना था 
ये सच है आज भी यारो -
किसी का आज तक - इसको 
कभी होना नहीं आया .

किराएदार थे यारो -
किराया भर नहीं पाए .
किराए के दिलों में कब 
तलक यूँ ठाठ से रहते .

कभी तो बात भी होगी 
कहाँ तक चुप रहेंगे वो .
उधर वो भी परेशान हैं 
इधर हम भी परेशां हैं .

ये दिल अब भी परेशा है
सबब कुछ भी नहीं यारो 
फ़क्त बस बात है इतनी 
वो हमको भूलने को हैं - 
भुलाए वो नहीं जाते .

ये दिल अपना कभी ना था 
ये सच है आज भी यारो -
किसी को आज तक इसका 
कभी होना नहीं आया .

ग़मों से थक गए यारो -
ख़ुशी की बात होने दो .
छतरियाँ खोल लो - अब 
जोर से बरसात होने दो .

बहूत गम हैं - तो ख़ुशी के बहाने चाहिए
जिन्दगी में फुर्सतों को नए माने चाहिए .
एक दो बार से तो यार अपना दिल नहीं भरता 
दशहरा ईद दिवाली - हर महीने आने चाहिए .

मनी है ईद - कुछ दिन बाद दिवाली भी आएगी 
नहीं कोई ख़ुशी तो सोचिये फिर क्या करे कोई .

देव टूटें* या रूठें 
कम से कम - यार 
मंगल - अमंगल की 
चिंता से से तो छूटें . 
( टूटें = प्रसन्न हों )

जनता जात बड़ी बेढंगी 
कभी रूठे - कभी चंगी .
जबरन पहनावो मगर -
पर दिखे नंगी की नंगी .

सियासत का भरोसा क्या 
बनाया क्या - परोसा क्या .

मैं खुद को हौसला देता हूँ 
गिर गिरकर उठा यारो .
जो दुश्मन सामने हो - 
चोट फिर देखी नहीं जाती .

नहीं टूटा - तो टूटेगा 
सितम का ये कलुष यारो .
सुबह होने को है यारो 
सुबह बस होने वाली है .

किसी आशा - 
किसी विश्वास के 
झांसे में मत आना . 
बड़े मगरूर शातिर हैं 
इशारों में ही जाँ लेंगे .

नापते तोलते वे हौसले - 
ले हाथ में परवाज बैठे हैं . 
मेरा 'कल' खा गए यारो - 
लिए वो 'आज' बैठे हैं .

सितारे सो गए होंगे . 
इशारे हो गए होंगे .
हमारे ख़ाक वो होंगे - 
किसी के हो गए होंगे .

फूल हाथों में थे उनके - 
मगर यूँ चोट खायी है .
गुलों के साथ गुलदस्ते 
मरों पर फैंकते क्यों हैं .
पता चलता नहीं यारो 
प्यार है या लड़ाई है .

जहाँ तक देखता हूँ - 
सब लिए फ़रियाद बैठे हैं .
वो सारे दूर बैठे हैं -
हम जरा पास बैठे हैं .

भीगी भीगी सी सुबह हुई 
भीगा मन का कौना कौना .
दिल कहता है मनही मनमें 
हो जाओ जिसका है होना .

अभी तो पाँव में दम है 
हौसले भी कहाँ कम है .
कभी मजबूरियाँ होंगी तो 
फिर गिर जायेंगे थक कर .

अभी कहानी शुरू हुई है 
बीच बीच में खो जाती हो .
मैं अपना ही रह जाता हूँ . 
जाने किसकी हो जाती हो .

वो जाहिर से हैं - छुपे भी हैं 
ये बात अब उन्हें बताये कौन .

कैसे अजीब लोग मिले 
जिन्दगी में यार .
दोस्त कहते भी हैं 
और दोस्त लगते भी नहीं .

ये तुमसे कब कहा - यारा 
मैं जैसा भी हूँ- पूरा हूँ .
तुम्हारे बिन तो मेरे यार 
बस आधा अधुरा हूँ .

जो सपने सच हुए होते - 
ना जाने क्या हुआ होता .

दुश्मनी लाख बुरी हो लेकिन 
दोस्त दुश्मन सा बुरा होता है .

ये उनसे क्यों कहा हमने 
जो ना कहते तो अच्छा था 
थे वो भी तो अभी नादाँ -
और ये दिल भी तो बच्चा था .

इस दुनिया में है कौन यार 
जो कभी किसी पर मरा नहीं 
क्या रहे किनारे सागर के -
ना डूबा जो - वो तरा नहीं

हम बुरे लगे - या भले लगे
तुम से अब कोई गिला नहीं . 
हमसे लाखों तेरे होंगे -
हमको तुझसा कोई मिला नहीं .

कैसे कहूं अब ईद मुबारक 
तुझे मैं दोस्त .
जब तक ये बैरी चाँद 
मुबारक नहीं होता .










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