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Monday, August 5, 2013

क्षणिकाएँ

पकड़ते थामते ही रह गए - 
हम यार हाथों में .
उडा जो वक्त तितली सा - 
ना जाने किस तरफ निकला .

क्यों मुखर है चांदनी -
डाले हुए मुख पर हिजाब .
क्यों किसी को दूं - मेरी 
तन्हाइयों का मैं हिसाब .

क्यों किसी की याद आई 
ये मिलन की रस्म है - 
अभी कैसी विदाई .

अब तो पानी बदल दो -
जाने कैसे गटर में रहती हैं 
मछलियाँ सबसे पूछती हैं 
हरेक से कहती हैं .

जिन्दगी क्या जीत है बस 
या गले का हार ही है .
या हृदय की फांस है 
या वेदना का द्वार ही है .

दूर जाती है कभी क्यों 
निकट जब संसार भी है 
कोई डूबा था भंवर में 
कोई उतरा पार भी है .

हमे छोड़कर आखिर - वो कहाँ जायेंगे 
आज नहीं कल तलक वो लौट आयेंगे .

वो बड़े नाराज़ से हैं -
हमने आखिर क्या किया . 
हम चले - अब अपने घर 
तेरी मेहरबानी शुक्रिया .

कुछ नहीं बोले जो वो 
तो हम अबोले हो गए . 
नजर मिलते ही लगा 
वो यार शोले हो गए .

समझ में कुछ नहीं आता 
वो पूर्व जन्म का है नाता .
विधुना ने कैसे लेख लिखे 
जो हमसे पढ़ा नहीं जाता .

संगी साथी - हमनवां 
साथ था यूँ पूरा कारवाँ .
ना दिल की बात कही 
जो पूरे रास्ते बोला ही नहीं .
संग रोया नहीं हंसा ही नहीं . 
वो मेरा दोस्त - यार था ही नहीं 
जो ना किसी का हुआ - 
मेरा कभी बना ही नहीं .

खत्म सारे हिसाब - 
चल नए खाते खोलें .
तू किसी और का होजा 
हम किसी और के होलें .

बिछुड़ रहां है - अगर मुझसे 
साथ अपने मेरी दुआ ले जा .
है तेज़ धूप - दूर है मंजिल 
साथ अपने मेरा साया ले जा.

टूट जाए तो फिर नहीं जुड़ते 
दिल के रिश्ते अजीब होते हैं .

ये नफरत चीज ऐसी है 
कहीं भी क्यों नहीं खोती .
महुब्बत क्यों नहीं करते 
महुब्बत क्यों नहीं होती .

महुब्बत है खता कोई -
खता ये हो गयी हमसे 
अभी घरबार छूटा है -
ज़माना अब भी बाकी है .


कहाँ निभती है इतने दिन 
किसी की दोस्ती जग में .
बिछुड़ने का है अब मौसम 
अलविदा कह भी दो यारो .


जहाँ पर गुल नहीं होते 
वहां भँवरे नहीं जाते .
बता उजड़े चमन में -
अब परिंदे क्यों नहीं आते .


अभी तो तीर जिन्दा है 
फकीरी पीर जिन्दा है .
जो हमने सच कहा होता 
तो सोचो क्या हुआ होता .


अगर रहना है दुनिया में 
महूब्ब्त सीख लो यारो 
मुसीबत के दिनों में ये - 
तुम्हारे काम आएगी .


किसी से ना कहो कुछ भी 
मगर फिर ठन ही जाती है .
जब दिल पर चोट लगती है 
तो कविता बन ही जाती है .


जो तुम आये तो चैन आये 
ना तुम आये ना रैन आये .
मन करता हर पल ये पुकार 
आ जाओ प्रीतम एक बार .


भीगी भीगी सी सुबह हुई 
भीगा मन का कौना कौना .
दिल कहता है मनही मनमें 
हो जाओ जिसका है होना .


थी धूप तेज़ और पाँव जले 
है मज़ा तभी जब छाँव जले 
जो रहना यहाँ नहीं मुमकिन 
चल दूजे कोई गाँव चलें .


ये दिल लेकर कहाँ जाएँ - 
गुल हैं उपवन हैं माली है .
सबके आयाम अपने हैं  
जगह ना कोई खाली है .


आधा खाली - कम भरा हुआ
जाने किसने क्या करा हुआ .
ना मरा कभी - अधमरा सही 
क्यों माने ये दिल मरा हुआ .


ये जीवन इतना दुर्भर है 
खुद अपना होश नहीं होता .
जो टूटे कोई तारा तो -
अम्बर को शोक नहीं होता .


दिन भर रहे -
यूँही जरा गुमसुम -
शाम से अब - 
जरा आराम है .








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