पकड़ते थामते ही रह गए -
हम यार हाथों में .
उडा जो वक्त तितली सा -
ना जाने किस तरफ निकला .
क्यों मुखर है चांदनी -
डाले हुए मुख पर हिजाब .
क्यों किसी को दूं - मेरी
तन्हाइयों का मैं हिसाब .
क्यों किसी की याद आई
ये मिलन की रस्म है -
अभी कैसी विदाई .
अब तो पानी बदल दो -
जाने कैसे गटर में रहती हैं
मछलियाँ सबसे पूछती हैं
हरेक से कहती हैं .
जिन्दगी क्या जीत है बस
या गले का हार ही है .
या हृदय की फांस है
या वेदना का द्वार ही है .
दूर जाती है कभी क्यों
निकट जब संसार भी है
कोई डूबा था भंवर में
कोई उतरा पार भी है .
हमे छोड़कर आखिर - वो कहाँ जायेंगे
आज नहीं कल तलक वो लौट आयेंगे .
वो बड़े नाराज़ से हैं -
हमने आखिर क्या किया .
हम चले - अब अपने घर
तेरी मेहरबानी शुक्रिया .
कुछ नहीं बोले जो वो
तो हम अबोले हो गए .
नजर मिलते ही लगा
वो यार शोले हो गए .
समझ में कुछ नहीं आता
वो पूर्व जन्म का है नाता .
विधुना ने कैसे लेख लिखे
जो हमसे पढ़ा नहीं जाता .
संगी साथी - हमनवां
साथ था यूँ पूरा कारवाँ .
ना दिल की बात कही
जो पूरे रास्ते बोला ही नहीं .
संग रोया नहीं हंसा ही नहीं .
वो मेरा दोस्त - यार था ही नहीं
जो ना किसी का हुआ -
मेरा कभी बना ही नहीं .
खत्म सारे हिसाब -
चल नए खाते खोलें .
तू किसी और का होजा
हम किसी और के होलें .
बिछुड़ रहां है - अगर मुझसे
साथ अपने मेरी दुआ ले जा .
है तेज़ धूप - दूर है मंजिल
साथ अपने मेरा साया ले जा.
टूट जाए तो फिर नहीं जुड़ते
दिल के रिश्ते अजीब होते हैं .
ये नफरत चीज ऐसी है
कहीं भी क्यों नहीं खोती .
महुब्बत क्यों नहीं करते
महुब्बत क्यों नहीं होती .
महुब्बत है खता कोई -
खता ये हो गयी हमसे
अभी घरबार छूटा है -
ज़माना अब भी बाकी है .
कहाँ निभती है इतने दिन
किसी की दोस्ती जग में .
बिछुड़ने का है अब मौसम
अलविदा कह भी दो यारो .
जहाँ पर गुल नहीं होते
वहां भँवरे नहीं जाते .
बता उजड़े चमन में -
अब परिंदे क्यों नहीं आते .
अभी तो तीर जिन्दा है
फकीरी पीर जिन्दा है .
जो हमने सच कहा होता
तो सोचो क्या हुआ होता .
अगर रहना है दुनिया में
महूब्ब्त सीख लो यारो
मुसीबत के दिनों में ये -
तुम्हारे काम आएगी .
किसी से ना कहो कुछ भी
मगर फिर ठन ही जाती है .
जब दिल पर चोट लगती है
तो कविता बन ही जाती है .
जो तुम आये तो चैन आये
ना तुम आये ना रैन आये .
मन करता हर पल ये पुकार
आ जाओ प्रीतम एक बार .
भीगी भीगी सी सुबह हुई
भीगा मन का कौना कौना .
दिल कहता है मनही मनमें
हो जाओ जिसका है होना .
थी धूप तेज़ और पाँव जले
है मज़ा तभी जब छाँव जले
जो रहना यहाँ नहीं मुमकिन
चल दूजे कोई गाँव चलें .
ये दिल लेकर कहाँ जाएँ -
गुल हैं उपवन हैं माली है .
सबके आयाम अपने हैं
जगह ना कोई खाली है .
आधा खाली - कम भरा हुआ
जाने किसने क्या करा हुआ .
ना मरा कभी - अधमरा सही
क्यों माने ये दिल मरा हुआ .
ये जीवन इतना दुर्भर है
खुद अपना होश नहीं होता .
जो टूटे कोई तारा तो -
अम्बर को शोक नहीं होता .
दिन भर रहे -
यूँही जरा गुमसुम -
शाम से अब -
जरा आराम है .
हम यार हाथों में .
उडा जो वक्त तितली सा -
ना जाने किस तरफ निकला .
क्यों मुखर है चांदनी -
डाले हुए मुख पर हिजाब .
क्यों किसी को दूं - मेरी
तन्हाइयों का मैं हिसाब .
क्यों किसी की याद आई
ये मिलन की रस्म है -
अभी कैसी विदाई .
अब तो पानी बदल दो -
जाने कैसे गटर में रहती हैं
मछलियाँ सबसे पूछती हैं
हरेक से कहती हैं .
जिन्दगी क्या जीत है बस
या गले का हार ही है .
या हृदय की फांस है
या वेदना का द्वार ही है .
दूर जाती है कभी क्यों
निकट जब संसार भी है
कोई डूबा था भंवर में
कोई उतरा पार भी है .
हमे छोड़कर आखिर - वो कहाँ जायेंगे
आज नहीं कल तलक वो लौट आयेंगे .
वो बड़े नाराज़ से हैं -
हमने आखिर क्या किया .
हम चले - अब अपने घर
तेरी मेहरबानी शुक्रिया .
कुछ नहीं बोले जो वो
तो हम अबोले हो गए .
नजर मिलते ही लगा
वो यार शोले हो गए .
समझ में कुछ नहीं आता
वो पूर्व जन्म का है नाता .
विधुना ने कैसे लेख लिखे
जो हमसे पढ़ा नहीं जाता .
संगी साथी - हमनवां
साथ था यूँ पूरा कारवाँ .
ना दिल की बात कही
जो पूरे रास्ते बोला ही नहीं .
संग रोया नहीं हंसा ही नहीं .
वो मेरा दोस्त - यार था ही नहीं
जो ना किसी का हुआ -
मेरा कभी बना ही नहीं .
खत्म सारे हिसाब -
चल नए खाते खोलें .
तू किसी और का होजा
हम किसी और के होलें .
बिछुड़ रहां है - अगर मुझसे
साथ अपने मेरी दुआ ले जा .
है तेज़ धूप - दूर है मंजिल
साथ अपने मेरा साया ले जा.
टूट जाए तो फिर नहीं जुड़ते
दिल के रिश्ते अजीब होते हैं .
ये नफरत चीज ऐसी है
कहीं भी क्यों नहीं खोती .
महुब्बत क्यों नहीं करते
महुब्बत क्यों नहीं होती .
महुब्बत है खता कोई -
खता ये हो गयी हमसे
अभी घरबार छूटा है -
ज़माना अब भी बाकी है .
कहाँ निभती है इतने दिन
किसी की दोस्ती जग में .
बिछुड़ने का है अब मौसम
अलविदा कह भी दो यारो .
जहाँ पर गुल नहीं होते
वहां भँवरे नहीं जाते .
बता उजड़े चमन में -
अब परिंदे क्यों नहीं आते .
अभी तो तीर जिन्दा है
फकीरी पीर जिन्दा है .
जो हमने सच कहा होता
तो सोचो क्या हुआ होता .
अगर रहना है दुनिया में
महूब्ब्त सीख लो यारो
मुसीबत के दिनों में ये -
तुम्हारे काम आएगी .
किसी से ना कहो कुछ भी
मगर फिर ठन ही जाती है .
जब दिल पर चोट लगती है
तो कविता बन ही जाती है .
जो तुम आये तो चैन आये
ना तुम आये ना रैन आये .
मन करता हर पल ये पुकार
आ जाओ प्रीतम एक बार .
भीगी भीगी सी सुबह हुई
भीगा मन का कौना कौना .
दिल कहता है मनही मनमें
हो जाओ जिसका है होना .
थी धूप तेज़ और पाँव जले
है मज़ा तभी जब छाँव जले
जो रहना यहाँ नहीं मुमकिन
चल दूजे कोई गाँव चलें .
ये दिल लेकर कहाँ जाएँ -
गुल हैं उपवन हैं माली है .
सबके आयाम अपने हैं
जगह ना कोई खाली है .
आधा खाली - कम भरा हुआ
जाने किसने क्या करा हुआ .
ना मरा कभी - अधमरा सही
क्यों माने ये दिल मरा हुआ .
ये जीवन इतना दुर्भर है
खुद अपना होश नहीं होता .
जो टूटे कोई तारा तो -
अम्बर को शोक नहीं होता .
दिन भर रहे -
यूँही जरा गुमसुम -
शाम से अब -
जरा आराम है .
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