Popular Posts

Sunday, August 11, 2013

क्षणिकाएँ

क्या हुआ मैला हुआ तन . 
देख सुंदर सा मेरा मन .
शुभ्र देवो सा मेरा संसार . 
प्राणप्रिय आओ मेरी बन .

अभी तुक्के लगाये हैं 
अभी तो तीर बाकी हैं 
अभी तदबीर बाकी है 
अभी तकदीर बाकी है
अभी अभिमन्यु जिन्दा 
द्रौपदी का चीर बाकी है .

ना रोने का सबब कोई 
रुलाई भी नहीं आती .
अभी तक रात सी क्यों है
सुबह क्यों हो नहीं जाती .

रतजगे हो रहें हैं यार 
यूँ जागे आँख में सपने .
ना सोते हैं वो इक पल -
और हमें सोने नहीं देते .

ख़ुशी की बात करते हैं 
ये खुश होने नहीं देते .
किसी के हो नहीं सकते 
और हमें होने नहीं देते .

फिजा में घूल रही स्याही 
को क्यों धोने नहीं देते .
सुबह की बात करते हैं 
सुबह होने नहीं देते .

वो इतनी दूर हैं हमसे 
नज़ारे हो नहीं सकते .
इशारे हो नहीं सकते 
हमारे हो नहीं सकते . 

बड़े कमबख्त थे हमारे ख्वाब 
वो तब आये - जब सवेरा हुआ .
मेरी बात दिल कभी माना ही नहीं 
आज हरेक से कहता है - तू मेरा हुआ .

वो हँसे तो देखकर मेरी सूरत 
हमें लगा - लो प्यार हो गया .

हंसने वालों के साथ हंस लूँगा . 
माफ़ मरना - मैं रो नहीं सकता .

वो इस कदर शामिल हैं कहीं मुझमे .
अनकहे मेरे जज्बात भी सुन लेते हैं .

कह दिया होगा - शायद बेख्याली में 
महुब्बत नहीं - हमने तो इबादत की है .

अभी तो पाँव टूटे हैं -
सफ़र बाकी अभी यारो .
अदम में छोड़कर जाना 
हमें अच्छा नहीं लगता .

रहे - ना छोड़ कर जाए 
मेरे दिलको मेरे घर को 
कोई हो ख्वाब ऐसा भी 
पर ऐसा हो नहीं सकता .

किसी की बात में दम था 
किसी के साथ में दम था .
निशाने पर मेरा था दिल 
नाये कम था ना वो कम था .

यही सोचा है इस दिल ने -   
फजीहत भी क्यों करवाओ 
जो मन जाते तो अच्छा था . 
ना मानो - भाड़ में जाओ .

मनाना फर्ज था अपना 
जतन सारे किये हमने -
ना माने क्यों - ये वो जाने 
या फिर उनका खुदा जाने .

ये दिल अपना कभी ना था 
ये सच है आज भी यारो -
किसी का आज तक - इसको 
कभी होना नहीं आया .

किराएदार थे यारो -
किराया भर नहीं पाए .
किराए के दिलों में कब 
तलक यूँ ठाठ से रहते .

कभी तो बात भी होगी 
कहाँ तक चुप रहेंगे वो .
उधर वो भी परेशान हैं 
इधर हम भी परेशां हैं .

ये दिल अब भी परेशा है
सबब कुछ भी नहीं यारो 
फ़क्त बस बात है इतनी 
वो हमको भूलने को हैं - 
भुलाए वो नहीं जाते .

ग़मों से थक गए यारो -
ख़ुशी की बात होने दो .
छतरियाँ खोल लो - अब 
जोर से बरसात होने दो .




No comments:

Post a Comment