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Thursday, March 10, 2011

गम है ना ख़ुशी है -

गम है ना ख़ुशी है -
बस ठीक से हैं आज कल
तू है ना कमी है -
कैसे कहें ये आज कल .

आँखों में नमी है ना -
पानी की कमी है -
रोने की ये कैसी -
आदत बनी है -आजकल

दो चार गिरहें और -
काटेंगे अभी और
जाने ये कैसे चोर -
होने लगे हैं -आजकल.

जज्बात के दरिया में -
पत्थर की चली नाव.
सर पर हैं अब चुनाव -
कैसे लड़ेंगे -आजकल

पेट्रोल -और डीजल,
सब हो गए महंगे -
चल चल के मरगये -
हम सोचते हैं आजकल .

ना राख ही मिली -
ना हाड का पता .
कैसे ये फिर जला -
सब पूछते हैं- आजकल.

कैसा ये देश है -
नेता दरवेश है -
अवाम लापता
सब ढूँढ़ते हैं- आजकल.

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