Popular Posts

Thursday, March 10, 2011

ये भगवान विष्णु क्षीर सागर में

ये भगवान विष्णु क्षीर सागर में -
शेष नाग की छतरी तले ,
कमल की शैया पर क्यों सोते हैं
शेषनाग के दाँत तो बहुत विषैले होते है .

ये कैसा विरोधाभास है -
विरक्त है और लक्ष्मी पास है.
हम क्या जाने -ये तो वही जाने-
सुनी सुनाई बात सच कैसे माने .

हम इंसान तो - काटों के बिछोने पे
संसार सागर के -अनाम कोने पे
माया के छत्र तले -हर दम सोते  हैं-
हमारे दुःख दर्द तो -भगवान के
कद से भी - बड़े होतें हैं .

सोनियाजी की शतरंज - बिसात है  
आपके सम्मुख हमारी तो भला
मनमोहन से ज्यादा क्या औकात है .
पर मान ले हममे भी कुछ तो बात है .

तेरी तू जाने -मैं तो अपनी जानता हूँ
खुद को तुझ से बड़ा मानता हूँ .
अरे भगवान बन के रहना  -बहुत आसान  है,
दो घडी को बन तो सही  इंसान -
और आजा सीधे मेरे हिंदुस्तान.
मेरा दावा है - या तो तू इंसान बनाना
भूल जाएगा और या तू भगवान बनना.
 

No comments:

Post a Comment