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Friday, March 18, 2011

सड़क पे धक्के खाता ,

सड़क पे धक्के खाता ,
उठता -गिरता लडखडाता
आम आदमी -लम्बी लाइन तोडके ,
उम्र से पहले ही -स्वर्ग जाता आदमी .

इस देश में - धडल्ले से
बिकते हैं -बड़े सपने -पर
आधी उम्र बीत जाती है -
उन्हें  देखने-समझने और खोने में  .
पूरी जिन्दगी निकल जाती है,
आम आदमी से  ख़ास होने में  .






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