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Monday, March 7, 2011

चीखने -चिल्लाने से

चीखने -चिल्लाने से , नारे लगाने से
रोने और गाने से -
कुछ होने हुवाने वाला नहीं .

आपस में सर जोड़ कर -
बिना किसी पूर्वाग्रह के ,
आइये सोचें .
और ढूंढ लाये-गहरे सागर से
सीपियाँ -निकाल ले उनमे से
सच्चे मोती -जिनकी चमक
कभी कम नहीं होती .

अपने- अपने हितों का ,
बलिदान करना पड़ता है ,
सभी की चिंता और हितों का -
ध्यान/सम्मान करना पड़ता है.
मछली की आंख को,
निशाना लगाने से पहले -
शर-संधान करना पड़ता है.

ऐसे ही नहीं करती वरण द्रोपदी
उसे स्वयंबर में जीतना होता है .

तभी महाभारत में विजय मिलती है
पांडवों को हर क्षण दूसरों से ही नहीं -
अपनों से भी लड़ना पड़ता है .

हम सभी को -जीवन में ,
पञ्च विकारों से लड़ना पड़ता है.
पर ध्यान रहे - पांचाली को
पांच पतियों की ब्याहता होते हुए भी
पतिव्रत धारण करना पड़ता है .

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