Popular Posts

Friday, March 25, 2011

उस दुबले पतले -बूढ़े

उस दुबले पतले -बूढ़े
इंसान से ना सही प्यार -पर
अब कैसी रार -वो अब नहीं है .
छोडो भी यार .

इतिहास पर आसान है -
आंसू बहाना -नुक्स निकलना ,
पर बहूत मुश्किल है -यार
खुद इतिहास लिखना -
इतिहास बनाना -और
इतिहास हो जाना .

उस जालिम -आदमखोर
साहूकार से -कठिन होता है
अपना रेहन रखे घर को छुड़ाना .
जब्बर किरायेदारों-को निकलना
नव निर्माण करना - एक घर नहीं
पूरा देश बनाना -बहूत मुश्किल है.

बहूत आसान होता है -
टेढ़ी बनी दीवार पर खासे-
नुक्स निकलना -और बने
नक़्शे को सिरे से नकारना.

जरा घर बना के तो देखता -उन
आँधियों के दौर में -कितनी बार
छप्पर उड़ता -कितनी बार
दीवारें गिराई-उठाई जाती .

घर बनाना -कठिन होता है-
बिना नक़्शे के- धन और
मेहनत की दरकार -
कितनी होती है यार.

कमेटी का डर-तोड़ ना जाए ,
कोई कमीना उसमे सेंघ ना लगाये ,
बन भी जाए तो कोई इस पर-
जबरन अपना हक ना जताए .

हमसे घर नहीं बनते -
उसने तो देश बनाया था.
खंडहरों को ध्वंस्त कर- इतने
कार सेवक ना जाने कैसे-
कहाँ से लाया था.

बड़ी मुश्किल से -गृह प्रवेश का
महूर्त -विदेशी पंडितों से -
निकलवाया था.
वो तो था ठेकेदार, मजदूर-
चला गया था बहूत दूर -छोड़ गया था
तुम सब के लिए -वो खुद तो-
इसमें रहने नहीं आया था .

No comments:

Post a Comment