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Thursday, March 17, 2011

दरख़्त की शिराओं से


दरख़्त की शिराओं से -
पूछो कैसे बीती जिन्दगी,
चिलचिलाती धुप -
पुरवैया हवाओं से- पूछो
कंपकंपाती तीखी सर्द फिजाओं से -
कि कैसे जिस्म हो जाता है -कंगाल 
रूह कैसे हो जाती है फ़ना -
मौसम से नहीं - मेरी
मरती -चटखती हुई शिराओं से -
पूछो कैसे बीती जिन्दगी .

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