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Friday, February 25, 2011

वो मेरा दोस्त

वो मेरा दोस्त भी था भाई भी था ,
कोलाहल भी था ,तन्हाई भी था .
ग़ज़ल भी था ,शहनाई भी था .
जाने क्यों याद आ रहा है-आज ,
मुझ में शामिल ,मेरी परछाई भी था .

वो मेरी जमीं था, आस्मां भी
मेरा हमराज, पूरा दुनिया-जहाँ भी,
बता नहीं सकता -कहाँ कहाँ था वो ,
हर कहीं जहाँ में हूँ -वो वहां भी .

जो मेरे आंसू उठाता था -
गिरने से पहले पलक से.
उसका दिल खिल जाता था मेरी
एक झलक से.

मुझ से बिछड़े हुए उसे अरसा बीता -
मैं रह गया खाली -बिलकुल रीता .
गम आज भी दरवाजा खटखटाते हैं -
मेरे पास रहते हैं -दूर नहीं जाते हैं -

कहाँ से लाऊ उसे -कहाँ सन्देश भेजूं ,
किस को कहूँ -कैसे बुलवाऊँ.
मेरी पीड़ा भरा स्वर -उस तक जाता नहीं
जो चला गया -वो वापिस लौट के आता नहीं .

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