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Friday, February 25, 2011

धुप की बातें करें

चलो इस ठिठुरते मौसम में -
धुप की बातें करें .

बुझते अलावों में -यादों की
सुखी लकड़ियाँ से,
अग्नि प्रज्वलित करें .

भूले बिसरे -अतीत की यादें
राख के ढेर कुरेंदें शायद
मिल ही जाएँ चंद चिंगारियां -
या बीते कल की परछाईंया .

पुरानी यादें -अगरबत्ती सी
जलती हैं- और देर तक चलती है
उनकी खुशबू उम्रभर कहाँ-
दिल से निकलतीं हैं .

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