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Friday, February 25, 2011

muktak

गाते तो बहुत हैं ,गुनगुनाता हैं कोई कोई
दिल से लिखे गीत-दिल से गाता है कोई कोई.

कहाँ है वो सुबह - उषा की लालिमा लिए हुए
कहाँ है वो शाम - सुरमई आंचल लपेटे हुए
वो रात भी होगी -यहीं कहीं ,चलो ढूंढ़ ले
सितारे गोद में -आँखों में सपने लिए हुए .

गीता में रख कृष्ण को -रामायण में राम,
बाकी जाएँ भाड़ में, क्या है उनसे काम.
क्रिकेट का रख ध्यान तू , उनको हीरो मान,
ट्राफी लेकर आयेंगे , उनको अपना जान .

लोग समस्याओं के झुनझुने -
यूँ ही हरवक्त बजाते हैं,
टीवी पर क्रिकेट देखते हुए ,
मूंगफली क्यों नहीं खाते हैं .

मैंने लिखे तो -बेजुबां शब्द थे ,
पढ़े गए - तो एक भाव बनी .
तूने गुनगुनाये तो
एक गीत बना-
भीड़ के हाथ में आये तो -
एक मशाल बनी.







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