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Friday, February 25, 2011

चल कहीं दूर चलें

चल कहीं दूर चलें -
रंजो गम के साए -ना हों
जहाँ अपने-पराये ना हों .

इस कदर गुम हो जाएँ -खुद में
किसी अपने -गैर को
ढूँढने पर भी पाए ना हो .

पुकारें लोग हमको -
भीड़ में मेले में -
या फिर कहीं
अकेले में- इतने खोये रहें
किसी के हाथ में आयें ना हों .

एक छोटा सा घर - अंजलि भर
आस्मां हो -सपनो का सा
अपना जहाँ हो .
ना कोई हमदम -ना कोई पासबां हो .

तेरे मेरे आलावा किसी-
और की तनिक भी -गुंजाईश ना हो
प्रेम प्यार की जहाँ कोई पैमाइश ना हो.

है कोई ऐसी जगह इस जहां में ?
तेरे मेरे एक साथ रहने के लिए -
एक दूसरे की सुनने -कहने के लिए.

मंदिर हो घर हो -या
किसी तीसरे का दर हो
मेरी दुनिया में हो -ना हो
तेरे पास मगर हो.

पर हो तो सही - जिसे मैं ढूँढता
रहता हूँ यहाँ -वहां हर कहीं.
अपना पता बता -या सीधा मेरे पास
बेझिझक चला आ .

सब लोग कह उठें - वाह !
इसे कहते हैं - परम आत्मा
से आत्मा का मिलन .

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