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Friday, October 19, 2012

सब प्रभु की माया है .

अंतर में कोलाहल - 
बाहर - घना 
अन्धकार छाया है - 
क्यों दोष दें किसी को - 
सब प्रभु की माया है .

रात धीरज है - रक्षा है 
ठांव है - परीक्षा है .
हम हारे थके फकीरों को
ईश्वर से मिली - 
बेशकीमती भिक्षा है .

विश्राम की वेला - समाप्त
उठ ज़ाग - रास्ते प्रतीक्षा में
मौन खडें हैं - चलो होने वाली
नयी सुबह की बाते करें .

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