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Tuesday, October 30, 2012

आइने को दूसरों को मत दिखा

बाज आ - आइने को 
दूसरों को मत दिखा
कभी अपनी ओर भी कर - 
मेरी बात मान जा .

मन्त्रमुग्ध - मतहो 
अपनी छवि देख - 
निहार - एक पल को
विचार - कौन सुंदर है 
वो जो आईने में है - या
वो जो उसके बाहर है .

या फिर वो -
जो तेरे और
आइने के दरमियाँ
कहीं हैं - पर
नजर नहीं आता .

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