बहूत काम हैं - यार
और - वक्त है कम .
कितनो से मिलना है -
कितनो को बुलाना है .
किस किससे मिलने -
जाने कितनी- कितनी
बार कहाँ कहाँ जाना है .
जाने कितनी आशाएं -
और - वक्त है कम .
कितनो से मिलना है -
कितनो को बुलाना है .
किस किससे मिलने -
जाने कितनी- कितनी
बार कहाँ कहाँ जाना है .
जाने कितनी आशाएं -
अपनों को भेजनी हैं .
तुम्हारी मनोहारी -
स्मृतियाँ मन में -
छुपानी सहेजनी हैं .
छोटी पड़ती जा रही है
ये जीवन की डोर - काश
कालको नहीं मिलता इसका -
उलझा हुआ दूसरा छोर .
अन्धकार ना छाता कभी
प्रकाश बना रहता - चारोँ ओर
हमेशा रहती मेरी सनातन भौर .
कह उठती जिन्दगी - एक बार
फिर वन्स मोर - वंस मोर .
तुम्हारी मनोहारी -
स्मृतियाँ मन में -
छुपानी सहेजनी हैं .
छोटी पड़ती जा रही है
ये जीवन की डोर - काश
कालको नहीं मिलता इसका -
उलझा हुआ दूसरा छोर .
अन्धकार ना छाता कभी
प्रकाश बना रहता - चारोँ ओर
हमेशा रहती मेरी सनातन भौर .
कह उठती जिन्दगी - एक बार
फिर वन्स मोर - वंस मोर .
No comments:
Post a Comment