कब गोपाल कृपा करी हों
कब आस के दीप जलें उर मेरे .
नन्द का लालजू - मुरली गोपालजू
आओ हृदय मम डालो जी डेरे .
हमसे तुम काहे बिगाड़ करी
हम कौन से खेत उजाड़े हैं तेरे .
सारा जहाँ तज दिना - सखा
अब खोया हिया - अपना कित हेरें .
जो अब भी तू कृपा ना करी -
फिर होए मिलन - बैकुंठ में तेरे .
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