नजदीकियां बढती गयी - बढ़ने लगा फिर प्यार
तुम क्या मिले - मगरूर सा लगने लगा हूँ यार .
चलो चलें अब - अपनी ख्वाबगाहों में
है कोई - जो सपना बनके मेरे साथ चले .
आ जाते तो अच्छा था -
नहीं आये तो अच्छा है .
इस बेक़रार दिल को -
कोई समझाए तो अच्छा है .
झुकाके चल अदबसे
यहाँ सर को यार
ताज़ दिल का आशियाँ है -
कोई मकबरा नहीं .
हम यहाँ आये तो - कोई नहीं अकेले थे
तेरे आने से ही - महफ़िल में बहार आयी है .
वक्त उड़ जाता है - पंख लगा कर यारा
जब तेरी याद सरे शाम चली आती है .
तनहा चलना भी क्या जिन्दगी है यार
कोई साथ चले - बात चले - बात बने .
और जाते भी कहाँ - लौट के तो आना ही था
बिन तेरे दिल लगता भी कहाँ - अब तू ही बता .
रीझ जाते हैं देख खुद को आईने में हम
क्या कोई और भी ऐसा है इस जमाने में .
सुंदर चाहें देह सब - ना मन करें विचार
सूरत अच्छी चाहिए - क्या अद्भूत संसार .
मन को अपने शुद्ध रख - तन की शुद्धि बिसार
मन से जीते सकल जग - तन से मिलती हार .
बन्दे की तरह मांग -
तेरा हक़ है - फिर
गिड़गिडाता क्यों है .
उम्र भर पाप किये -
फिर उससे - छिपाता क्यों है .
उसकी मर्जी में रहेगा -
तो बहूत पायेगा -
रजा से उसकी -बाहर
आखिर तू जाता क्यों है .
जो खुद ही हुआ -
बनाया ना गया .
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में
स्वयं - सुसज्जित .
अद्भुत आभा से -
शोभायमान है .
हर व्यक्ति प्राणी की -
दिलो जान है .
तभी तो मेरा ईश -
मेरा खुदा -
तुम क्या मिले - मगरूर सा लगने लगा हूँ यार .
अंजाम क्या ख़ाक होता - उस महूब्ब्त का
आगाज़ ही अपना तो बस बेकार रहा यार .
आगाज़ ही अपना तो बस बेकार रहा यार .
करवट बदल बदल के - पूरी रात गयी बीत
एडी रगड़ रगड़ के - बीती जिन्दगी अपनी .
एडी रगड़ रगड़ के - बीती जिन्दगी अपनी .
अब तू ही बता - कैसे कहें
हाले दिन अपना .
एक तू ही ना समझा -
जो सभी जान गए हैं .
हाले दिन अपना .
एक तू ही ना समझा -
जो सभी जान गए हैं .
गम इस कदर बढे - समेटे ना गए यार
नए मेहमान को इस घर में बुलाऊं कैसे .
नए मेहमान को इस घर में बुलाऊं कैसे .
कैसे किसी को ख्वाब से जगाये कोई यार
वे नींद में बेसुध कहाँ - सब जागे हुए हैं .
वे नींद में बेसुध कहाँ - सब जागे हुए हैं .
बहस का मामला यार इतना भर था
मैं - बाहर और वो संसद के अंदर था
मैं - बाहर और वो संसद के अंदर था
ख्वाबों में मेरे आने को - वो
सच में थे तैयार.
बेताबी इस कदर बढ़ी - अब
नींद भी आती नहीं है यार .
सच में थे तैयार.
बेताबी इस कदर बढ़ी - अब
नींद भी आती नहीं है यार .
अद्भूत होता है - बहुत अपनेपन का भाव .
चाहे कोई गीत हो - उनकी लय में गाओ .
चाहे कोई गीत हो - उनकी लय में गाओ .
चलो चलें अब - अपनी ख्वाबगाहों में
है कोई - जो सपना बनके मेरे साथ चले .
आ जाते तो अच्छा था -
नहीं आये तो अच्छा है .
इस बेक़रार दिल को -
कोई समझाए तो अच्छा है .
झुकाके चल अदबसे
यहाँ सर को यार
ताज़ दिल का आशियाँ है -
कोई मकबरा नहीं .
हम यहाँ आये तो - कोई नहीं अकेले थे
तेरे आने से ही - महफ़िल में बहार आयी है .
वक्त उड़ जाता है - पंख लगा कर यारा
जब तेरी याद सरे शाम चली आती है .
तनहा चलना भी क्या जिन्दगी है यार
कोई साथ चले - बात चले - बात बने .
और जाते भी कहाँ - लौट के तो आना ही था
बिन तेरे दिल लगता भी कहाँ - अब तू ही बता .
रीझ जाते हैं देख खुद को आईने में हम
क्या कोई और भी ऐसा है इस जमाने में .
सुंदर चाहें देह सब - ना मन करें विचार
सूरत अच्छी चाहिए - क्या अद्भूत संसार .
मन को अपने शुद्ध रख - तन की शुद्धि बिसार
मन से जीते सकल जग - तन से मिलती हार .
बन्दे की तरह मांग -
तेरा हक़ है - फिर
गिड़गिडाता क्यों है .
उम्र भर पाप किये -
फिर उससे - छिपाता क्यों है .
उसकी मर्जी में रहेगा -
तो बहूत पायेगा -
रजा से उसकी -बाहर
आखिर तू जाता क्यों है .
जो खुद ही हुआ -
बनाया ना गया .
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में
स्वयं - सुसज्जित .
अद्भुत आभा से -
शोभायमान है .
हर व्यक्ति प्राणी की -
दिलो जान है .
तभी तो मेरा ईश -
मेरा खुदा -
सबसे महान है .
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